Friday, October 24, 2025
spot_img

भव्य आध्यात्मिक प्रवेश एवं आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज का मंगल आगमन

अहिंसा संस्कार पद यात्रा के प्रणेता साधना महोदधि, उत्कृष्ट सिंह निष्क्रिडित व्रत कर्ता, तीर्थराज सम्मेद शिखर पर्वत पर 557 दिनों की अखण्ड मौन-तप साधना करने वाले अन्तर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागर महाराज मैनपुरी में अपने चतुर्विध संघ के साथ मंगल प्रवेश कर रहे हैं।

अन्तर्मना तप शिरोमणि ने कहा –

प्रभु भक्ति, गुरू कृपा और आत्म विश्वास..
असम्भव को भी सम्भव करा सकता है..!

किसी भी लक्ष्य को पाने के लिये ये तीन कार्य बहुत मायने रखते हैं —
🔸 प्रभु भक्ति से शक्ति,
🔸 गुरू कृपा से दिशा, और
🔸 आत्म विश्वास से सफलता चरणों की दासी बन जाती है।

ध्यान रखना! प्रभु और गुरू जानने की नहीं, मानने की चीज है। यदि आप प्रभु भक्त और गुरू के शिष्य हैं, तो एक बात अपने जहन में बसा लें – गुरू कृपा और प्रभु भक्ति से हम अपने लक्ष्य को सहजता से प्राप्त कर सकते हैं। जैसे – प्रभु भक्ति, गुरू कृपा और आत्म विश्वास से भारत के मूर्धन्य विद्धान डाक्टर सुशील चन्द्र जी मैनपुरी, पंण्डित शिव चरण लाल मैनपुरी जी ,पंण्डित दीप चन्द्र जी छावडा जयपुर बालो ने पाया । शिवचरण लाल जी निर्ग्रन्थ श्रमण मुनि वांग्मय सागर बनकर उत्कृष्ट समाधिमरण किया ।डाक्टर प्रवर्तक श्रमण मुनि सहज सागर महाराज और निर्यापक श्रमण मुनि नवपद्म सागर महाराज बनकर आत्म कल्याण व धर्म की प्रभावना मै निरन्तर वर्धमान हो रहै है
अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागर ने कहा –
मीरा सी भक्ति, एकलव्य सा समर्पण जब अन्तर्मन में उपजता है, तो श्रद्धा का फूल विश्वास की हवा को कभी खिरने नहीं देता। जो गैर जिम्मेदार है, वह ना समर्पण कर सकते और ना कुछ प्राप्त कर सकते, क्योंकि समर्पण और श्रद्धा ही आत्म निर्भर और आत्म विश्वास को पैदा करती है। जैसे 100 रूपये में 50 रूपये निहित है, वैसे ही आत्म विश्वास में निडरता और आत्म निर्भरता निहित है। यदि आपके पास सौ रूपये नहीं है तो हजार भी नहीं होंगे। इसी प्रकार जिनको अपनी श्रद्धा-भक्ति, आत्म विश्वास पर डाउट है, वे लोग कभी — ना सफल हो सकते, ना आत्म निर्भर।

समर्पण का अर्थ है —
साहिल भी तू है, किनारा भी तू है..
पार करना या डूबोना, सब तेरे हाथ में है…!!!

आर्यावर्त की ऐतिहासिक विरासत को संवृद्ध करता उत्तर प्रदेश में अभिव्याप्त एक अचम्भित करने वाला शहर मैनपुरी के मूर्धन्य विद्वान डाॅक्टर सुशील कुमार जैन जैनेश्वरी भगवती दीक्षा को धारण करके नगर के गौरव को गौरवान्वित करते हुए अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज के सकल संघ के साथ प्रवर्तक श्रमण, मैनपुरी गौरव मुनि श्री सहज सागर जी महाराज बनकर पहली बार आ रहे हैं। आप सभी इस उत्सव और महोत्सव के साक्षी बनें। ऐसा आत्मीय भक्त जनों से भाव भरा निवेदन है।

जन्म भूमि आगमन महोत्सव के अनोखे पल

👉 26 फरवरी को दोपहर 02:30 बजे — भव्यातिभव्य मंगल प्रवेश

👉 28 फरवरी को दोपहर — अन्तर्मना सर्वतोभद्र श्री परिवार में प्रवेश

👉 28 फरवरी को दोपहर 01:30 बजे — नगर भ्रमण करते हुये सर्वतोभद्र चैत्यालय में विशाल शोभायात्रा – गुरू पाद पूजा एवं धर्म सभा।

👉 01 मार्च को प्रातःकाल — दीप आराधना एवं दोपहर 01:30 बजे से — जिनेन्द्र महा अर्चना महोत्सव।

👉 02 मार्च को प्रातःकाल — दीप आराधना एवं प्रवचन प्रसाद सभा मण्डप में एवं दोपहर 02:00 बजे — गुरू पाद पूजा व आशीर्वचन समारोह।

तत्पश्चात अहिच्छत्र पारसनाथ के लिए मंगल प्रस्थान।

 

 

WhatsApp Channel Join Now
youtube Group Subscribe
Instagram Account Follow Now
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img

Most Popular

Recent Comments